शिव चालीसा - जय गिरिजा पति दीन दयाला । सदा करत सन्तन प्रतिपाला.
मैना मातु की ह्वै दुलारी। बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥
दुष्ट सकल नित मोहि सतावै। भ्रमत रहौं मोहि चैन न आवै॥
त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई। सबहिं कृपा कर लीन बचाई॥
पण्डित त्रयोदशी को लावे। ध्यान पूर्वक होम करावे ॥
एक कमल प्रभु राखेउ जोई। कमल नयन पूजन चहं सोई॥
अर्थ: हे नीलकंठ आपकी पूजा करके ही भगवान श्री रामचंद्र लंका को जीत कर उसे विभीषण को सौंपने में कामयाब हुए। इतना ही नहीं जब श्री राम मां शक्ति की पूजा कर रहे थे और सेवा में कमल अर्पण कर रहे थे, तो आपके ईशारे पर ही देवी ने उनकी more info परीक्षा लेते हुए एक कमल को छुपा लिया। अपनी पूजा को पूरा करने के लिए राजीवनयन भगवान राम ने, कमल की जगह अपनी आंख से पूजा संपन्न करने की ठानी, तब आप प्रसन्न हुए और उन्हें इच्छित वर प्रदान किया।
नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीसा।
नमो नमो जय नमो शिवाय। सुर ब्रह्मादिक पार न पाय॥
कभी-कभी भक्ति करने को मन नहीं करता? - प्रेरक कहानी
प्रकटी उदधि मंथन में ज्वाला। जरत सुरासुर भए विहाला॥
स्तुति चालीसा more info शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण॥
संकट में पूछत नहिं कोई ॥ स्वामी एक है आस तुम्हारी ।
शिव भजन